एक लाख धनुषों के बराबर था ये अकेला धनुष, जानें पूरी कहानी

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त्रेता और द्वापर युग में शस्त्रों की अद्वितीय शक्ति का उल्लेख मिलता है। इन युगों के शस्त्र इतने शक्तिशाली थे कि वे पूरी सृष्टि का विनाश करने की क्षमता रखते थे। खासतौर पर, उस समय के योद्धाओं नेधनुष-बाणका उपयोग किया, जो युद्ध में उनकी सबसे बड़ी ताकत थी। भगवान राम, श्रीकृष्ण, अर्जुन और कर्ण जैसे महान योद्धाओं के पास ऐसे धनुष थे, जिनकी शक्ति और महत्व अनोखे थे। आज हम आपको कुछ प्रसिद्ध धनुषों के बारे में बताएंगे, जिनका उल्लेख इतिहास और ग्रंथों में मिलता है।

इनमेंपीनाक,श्राङ्ग,कोदंड,गांडिव, औरविजय धनुषप्रमुख हैं। इन धनुषों का निर्माण अलग-अलग देवताओं और कालखंडों में हुआ था। इनकी मदद से योद्धाओं ने कई कठिन युद्ध लड़े और दुश्मनों का अंत किया। आइए, इन धनुषों की रोचक कहानियां विस्तार से जानते हैं।


पीनाक धनुष

पीनाक धनुषभगवान शिव का प्रसिद्ध धनुष था। इसे ब्रह्माजी ने बनाया था। हालांकि, कुछ कथाओं में इसका निर्माणविश्वकर्माद्वारा भी बताया गया है। यह धनुष भगवान शिव ने भगवान नारायण को दिया था। यही वह धनुष है जिससे भगवान शिव ने त्रिपुर नामक राक्षस का वध किया।

इसके अलावा, पीनाक धनुष का उल्लेख रामायण में भी मिलता है। जनकपुरी में सीता स्वयंवर के दौरान, इसी धनुष को तोड़ने की शर्त रखी गई थी। भगवान राम ने इसे तोड़ा और सीता से विवाह किया। यह घटना पीनाक धनुष की महत्ता को और बढ़ा देती है।


श्राङ्ग धनुष

श्राङ्ग धनुष, जिसेशर्खभी कहा जाता है, भगवान विष्णु का प्रिय धनुष था। इसे गोवर्धन के नाम से भी जाना जाता है। यह धनुष भगवान विष्णु को उनकी दिव्य शक्ति प्रदान करता था। इस धनुष का उपयोग विष्णु ने कई दैत्यों के संहार में किया।

श्राङ्ग धनुष की विशेषता यह थी कि इसे उठाने के लिए अपार बल और ध्यान की आवश्यकता थी। यह धनुष भगवान विष्णु की सभी युद्ध शक्तियों का केंद्र माना जाता था।


कोदंड धनुष

भगवान राम का धनुषकोदंडकहलाता है। इसी धनुष से उन्होंने असंख्य राक्षसों का वध किया और अंततः रावण को हराया। यह धनुष केवल शक्ति का प्रतीक नहीं था, बल्कि इसमें संसार के सभी दिव्यास्त्रों को धारण करने की क्षमता भी थी।

रामायण में वर्णन है कि कोदंड धनुष से भगवान राम ने वनवास के दौरान कई बार अपनी वीरता दिखाई। इस धनुष का उपयोग राक्षसों जैसे ताड़का, मारीच और सुबाहु का अंत करने में किया गया। धार्मिक दृष्टिकोण से, यह धनुष राम की न्यायप्रियता और धर्म की रक्षा का प्रतीक था।


गांडिव धनुष

गांडिव धनुषका निर्माण ब्रह्माजी ने किया था। बाद में यह वरुणदेव को मिला। महाभारत के अनुसार, जब अर्जुन और श्रीकृष्ण ने खांडव वन जलाने का निर्णय लिया, तब अग्निदेव ने वरुणदेव से यह धनुष अर्जुन को देने का अनुरोध किया। वरुणदेव ने इसे दो अक्षय तरकशों के साथ अर्जुन को सौंप दिया।

यह धनुष इतना शक्तिशाली था कि इसे “एक लाख धनुषों के बराबर” कहा गया। इसमें 108 दिव्य प्रत्यंचाएं थीं, और इसे तोड़ना असंभव था। महाभारत युद्ध में अर्जुन ने इस धनुष का उपयोग करते हुए कई दुश्मनों का संहार किया। स्वर्ग यात्रा के समय, अर्जुन ने अग्निदेव के कहने पर इसे वरुणदेव को लौटा दिया।


विजय धनुष

विजय धनुषका निर्माण देवशिल्पीविश्वकर्माने किया था। यह धनुष देवताओं के राजा इंद्र को भेंट किया गया। इंद्र ने इसे भगवान परशुराम को दिया, जिन्होंने इसे अपने शिष्य कर्ण को सौंप दिया।

विजय धनुष की खासियत यह थी कि इसकी प्रत्यंचा को काटा नहीं जा सकता था। महाभारत में कर्ण ने इस धनुष का उपयोग करते हुए कई कठिन युद्ध लड़े। यह धनुष उनकी वीरता और अपार शक्ति का प्रतीक था।


इन धनुषों की कहानियां केवल उनकी शक्ति और उपयोग तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे उन मूल्यों और विचारों का प्रतिनिधित्व करती हैं, जिनके लिए उनके धारक खड़े थे। ये धनुष हमें यह सिखाते हैं कि शक्ति का सही उपयोग और न्यायप्रियता किसी भी योद्धा की सबसे बड़ी पहचान होती है।


FAQs

  1. पीनाक धनुष क्यों प्रसिद्ध है?
    पीनाक धनुष भगवान शिव का था, और यही धनुष जनकपुरी में सीता स्वयंवर के दौरान भगवान राम ने तोड़ा था।
  2. गांडिव धनुष का उपयोग किसने किया?
    गांडिव धनुष अर्जुन ने महाभारत युद्ध में उपयोग किया था। यह एक लाख धनुषों के बराबर शक्तिशाली था।
  3. कोदंड धनुष का धार्मिक महत्व क्या है?
    कोदंड धनुष भगवान राम का था। यह धर्म और न्याय की रक्षा का प्रतीक था।
  4. विजय धनुष किसे दिया गया था?
    विजय धनुष भगवान परशुराम ने कर्ण को दिया था। यह धनुष उनकी वीरता का प्रतीक था।
  5. श्राङ्ग धनुष किसे समर्पित था?
    श्राङ्ग धनुष भगवान विष्णु का था। यह उनकी दिव्य शक्ति और युद्ध कौशल का प्रतीक था।

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