Success Story in hindi: 75 बार रिजेक्ट हुए, फिर बनाई 9350 Cr की कंपनी!

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Rapido Success Story in Hindi
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Success Story in hindi: 75 बार रिजेक्शन के बाद बना 9350 करोड़ का स्टार्टअप – Rapido की सफलता की कहानी

Success Story in hindi:जब भी भारत में IIT पास युवाओं की बात होती है, तो हम अक्सर उन्हें मल्टीनेशनल कंपनियों में मोटे पैकेज पर काम करते हुए देखते हैं। लाखों में सैलरी, विदेश में नौकरी, और कॉरपोरेट दुनिया की चमक—यही आम छवि है। लेकिन कुछ ऐसे युवा भी होते हैं जो इस सुरक्षित जीवन से अलग हटकर कुछ ऐसा करने की ठानते हैं, जो असंभव सा लगता है। ऐसा ही एक नाम है —पवन गुंटुपल्ली, तेलंगाना से आने वाले एक युवा जिन्होंने 75 बार रिजेक्शन झेला, मगर झुके नहीं।

कहानी की शुरुआत: एक नौकरी छोड़, ख्वाब को अपनाया

पवन गुंटुपल्ली (Pavan Guntupalli) का सफर IIT खरगपुर से शुरू हुआ, जहां से उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। पढ़ाई के बाद उन्होंने Samsung जैसी प्रतिष्ठित कंपनी में काम करना शुरू किया। नौकरी अच्छी थी, जीवन सुरक्षित था, लेकिन दिल में कुछ बड़ा करने की चाह बाकी थी।

अपने अनुभव और टेक्निकल ज्ञान के दम पर उन्होंने पहला स्टार्टअप“theKarrier”लॉन्च किया। यह एक लॉजिस्टिक्स प्लेटफ़ॉर्म था जो SME कंपनियों के लिए ट्रांसपोर्ट सॉल्यूशन देना चाहता था। लेकिन यह आइडिया मार्केट में नहीं चला। फंडिंग नहीं मिली, यूज़र्स नहीं आए, और अंततः ये स्टार्टअप बंद करना पड़ा।

लेकिन यहां से पवन की असली यात्रा शुरू हुई। उन्होंने सीखा कि असफलता केवल एक पड़ाव है, मंज़िल नहीं।

नई सोच, नई शुरुआत: Rapido का जन्म

2015-16 में पवन ने अपने दो साथियों के साथ मिलकरRapidoकी नींव रखी। उनका लक्ष्य था आम लोगों के लिए एक सस्ती, तेज और सुविधाजनक ट्रांसपोर्ट सेवा देना, खासकर उन शहरों में जहां ऑटो-रिक्शा या कैब्स की सुविधा सीमित है।

बाइक टैक्सी का आइडिया नया था और भारत जैसे देश में इस पर यकीन करना आसान नहीं था। पवन ने 75 से ज़्यादा इन्वेस्टर्स से मुलाकात की, लेकिन हर बार उन्हें ‘ना’ सुनने को मिला। लोग कहते थे:

  • “बाइक टैक्सी इंडिया में नहीं चलेगी”

  • “Ola और Uber पहले से हैं, आपकी कंपनी टिक नहीं पाएगी”

पर पवन रुके नहीं। वे जानते थे कि जो भी बड़ा करता है, पहले उसे छोटा समझा जाता है।

हीरो का साथ: जब पवन को मिला पंख

किस्मत तब पलटी जबहीरो मोटोकॉर्प के चेयरमैन पवन मुनजलने पवन गुंटुपल्ली के विज़न को समझा। मुनजल ने न सिर्फ निवेश किया बल्कि अपने नाम और अनुभव से रैपिडो को नई पहचान दी।

उनके साथ आने से बाकी निवेशकों का भी भरोसा जगा, और Rapido को 2016 में औपचारिक रूप से लॉन्च कर दिया गया। इसके बाद कंपनी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।

Ola और Uber से अलग दिशा: छोटे शहरों की बड़ी सोच

Rapido ने मार्केट में अपनी अलग जगह बनाई —टियर-2 और टियर-3 शहरोंपर फोकस करके।

जहां Ola और Uber सिर्फ मेट्रो शहरों में अपनी पकड़ मजबूत करने में लगे थे, वहीं Rapido ने उन इलाकों की तरफ रुख किया जहां आम आदमी को ट्रैफिक, रूट और किराए की मार झेलनी पड़ती थी।

बिजनेस मॉडल बेहद साधारण लेकिन असरदार था:

  • ₹15 का बेस फेयर

  • ₹3 प्रति किलोमीटर चार्ज

  • कैप्टन (राइडर) को सीधा रोजगार

  • यूज़र्स को अफॉर्डेबल, फास्ट राइड

छोटे शहरों में यह मॉडल हिट हो गया, क्योंकि लोग नजदीक की दूरी के लिए ज्यादा पैसे देना नहीं चाहते थे, और ट्रैफिक में फंसने से भी बचना चाहते थे।

2025 में Rapido: एक देसी सपना जो हकीकत बन गया

आज के समय मेंRapidoसिर्फ एक बाइक टैक्सी ऐप नहीं, बल्कि एक₹9350 करोड़ वैल्यूएशन वाली टेक मोबिलिटी कंपनीबन चुकी है।

रैपिडो के कुछ प्रमुख आँकड़े:

  • 100+ शहरों में मौजूदगी

  • 5 करोड़+ ऐप डाउनलोड

  • 7 लाख+ एक्टिव यूज़र्स प्रति माह

  • 50,000+ राइडर्स या ‘कैप्टन’

  • ₹1,370 करोड़ से अधिक वार्षिक राजस्व

यहां तक किSwiggy जैसी बड़ी कंपनियांभी Rapido में निवेश कर चुकी हैं, जिससे इसकी लॉजिस्टिक पहुंच और भी मजबूत हुई है। 2025 तक कंपनी ने EV (इलेक्ट्रिक व्हीकल्स) को अपने बेड़े में शामिल करना शुरू कर दिया है, जिससे यह पर्यावरण के प्रति भी संवेदनशील बनी है।

इस कहानी से क्या सीख मिलती है?

पवन गुंटुपल्ली की यह यात्रा सिर्फ एक स्टार्टअप स्टोरी नहीं, बल्कि हिम्मत, धैर्य और भारत की नई सोच की पहचान है।

आइए जानें उनसे क्या सीख सकते हैं:

  • रिजेक्शन फेल नहीं, फीडबैक होता है

  • जिन्हें सबने नकारा, उन्होंने सबसे बड़ा बनाया

  • मार्केट में गैप पहचानें और वही आपका आइडिया हो सकता है

  • नेटवर्किंग और सही निवेशक से बड़ी मदद मिलती है

  • बड़े शहरों से हटकर छोटे कस्बों की भी सोचें — वहीं असली भारत है

निष्कर्ष: जो नहीं रुका, वही पहुंचा मंज़िल तक

पवन गुंटुपल्ली की कहानी उन लाखों युवाओं के लिए उदाहरण है जो अपने सपनों को साकार करने की चाह रखते हैं लेकिन डरते हैं असफलता से। 75 बार ठुकराए जाने के बाद भी उन्होंने अपने विचार को मरने नहीं दिया।

Rapidoआज लाखों लोगों की रोज़मर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा बन चुका है — और ये साबित करता है कि अगर सोच समाज के लिए हो और हौसला पत्थर से भी बड़ा हो, तो मंज़िल ज़रूर मिलती है।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

Q1. रैपिडो की शुरुआत किसने और कब की थी?
रैपिडो की शुरुआत पवन गुंटुपल्ली ने अपने दो साथियों के साथ 2015-16 में की थी।

Q2. क्या रैपिडो Ola और Uber को टक्कर दे रहा है?
जी हां, खासकर छोटे और मिड-लेवल शहरों में Rapido एक सस्ता, तेज़ और सुविधाजनक विकल्प बन चुका है।

Q3. रैपिडो की वर्तमान वैल्यूएशन क्या है?
2025 तक Rapido की वैल्यूएशन ₹9350 करोड़ से अधिक हो चुकी है।

Q4. क्या रैपिडो में बड़े निवेशकों ने पैसा लगाया है?
हाँ, Hero MotoCorp के पवन मुनजल और Swiggy जैसी बड़ी कंपनियों ने Rapido में निवेश किया है।

Q5. क्या रैपिडो अब EV टेक्नोलॉजी पर भी काम कर रहा है?
बिलकुल, कंपनी अब अपने सेवा नेटवर्क में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को शामिल कर रही है।

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