नाम जप करते हैं पर घर पर प्याज-लहसुन बनता है तो क्या करें? Premanand Ji Maharaj

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Premanand Ji Maharaj
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नाम जप करते हैं पर घर पर प्याज-लहसुन बनता है तो क्या करें ? Premanand Ji Maharaj


नाम जप की शक्ति क्या है?

“हरि नाम स्वयं परम पवित्र है। यह इतना शक्तिशाली है कि पाप और तामसिकता को भी धीरे-धीरे नष्ट कर देता है।”

  • भक्ति मार्ग मेंभगवान का नाम लेना(जैसे “राम”, “कृष्ण”, “नारायण”, “शिव”, आदि) सबसे बड़ा और सरल साधन है।

  • यहमन, वाणी और कर्मोंको शुद्ध करने लगता है।

  • नाम जप तब भी फलदायी होता है, जब आप अपने सामर्थ्य के अनुसार ईमानदारी से प्रयास कर रहे हों—even अगर घर का माहौल पूरी तरह सात्त्विक नहीं है।


प्याज-लहसुन क्यों नहीं खाते कई भक्तजन?

  • प्याज और लहसुन कोतामसिकभोजन माना गया है।

  • ये शरीर में उत्तेजना, क्रोध, आलस्य और वासना को बढ़ाते हैं।

  • भक्ति मार्ग में मन को शांत और शुद्ध रखने के लिएसात्त्विक आहार(जैसे दूध, फल, सादा दाल-चावल, सब्ज़ी आदि) को प्राथमिकता दी जाती है।

📚मनुस्मृति,योगशास्त्र, औरआयुर्वेदमें भी बताया गया है कि सात्त्विक भोजन सेध्यान, भक्ति और आत्मिक विकासमें सहायता मिलती है।


अगर घर में प्याज-लहसुन बनता है तो क्या करें?

(1) खुद को शुद्ध रखें

  • सबसे पहले आप यह तय करें कि आप खुद प्याज-लहसुन नहीं खाएँगे।

  • अपने हिस्से का खाना सात्त्विक तरीके से बनाएं या अलग रखें।

(2) परिवार पर दबाव न डालें

  • जबरदस्ती करने से उल्टा असर होता है।

  • उन्हें प्रेम से समझाएं, लेकिन उनकी स्वतंत्रता का सम्मान करें।

(3) अपना नाम जप जारी रखें

  • घर में जो भी वातावरण हो,आपका जप ईमानदारी और श्रद्धा से हो, बस यही सबसे जरूरी है।

(4) अपने कमरे को भक्ति का केंद्र बनाएं

  • जहाँ आप जप करते हैं वहाँ साफ-सफाई, दीपक, अगरबत्ती, गंगाजल आदि का उपयोग करें।

  • इससे उस स्थान की ऊर्जा शुद्ध और सात्त्विक बनी रहती है।

(5) धीरे-धीरे माहौल को बदलें

  • जब परिवार देखेगा कि आप शांत, खुश और अनुशासित रहते हैं, तो वे भी प्रेरित होंगे।

क्या मेरे जप का असर होता है अगर मैं प्याज-लहसुन वाले घर में रहूं?

हाँ, जरूर होता है।

  • ईश्वर भाव के भूखे हैं, भोजन के नहीं।

  • यदि आपका दिल सच्चा है और आप श्रद्धा से नाम जप करते हैं, तो भगवान अवश्य सुनते हैं।

❝ जैसे गंदे पानी में भी कमल खिला रहता है, वैसे ही संसार में रहकर भी आप शुद्ध रह सकते हैं। ❞

ग्रंथों और संतों की राय:

ग्रंथ / संतक्या कहा गया है?
भगवद्गीता“स्वधर्मे निधनं श्रेयः” — अपने मार्ग पर अडिग रहना श्रेष्ठ है
तुलसीदास जी“भक्ति करहु मम नाम प्रतापू” — मेरा नाम ही मोक्ष का मार्ग है
संत कबीर“मन ना रंगाए, रंगाए जोगी कपड़ा” — दिखावा नहीं, अंतर का भाव जरूरी है
श्रीमद्भागवत“सत्संग से ही जीव की चित्तवृत्ति बदलती है”
समस्यासमाधान
घर में प्याज-लहसुन बनता हैखुद न खाएं, बाकी को प्रेरित करें
अकेले जप करते हैंरोज़ाना एक निश्चित समय तय करें, भक्ति स्थल बनाएं
संदेह होता है कि मेरी भक्ति सफल है या नहींभगवान भाव को देखते हैं, आहार और परिस्थिति को नहीं
दूसरों से विरोध मिलता हैक्रोध नहीं, प्रेम और सहनशीलता से बात करें
  1. सुबह-सुबह स्नान करके 15–30 मिनट नाम जप करें।

  2. “ॐ नमः शिवाय”, “हरे राम हरे कृष्ण”, “श्रीराम जय राम जय जय राम” जैसे मंत्रों का जप करें।

  3. एक छोटा दीपक, तुलसी का पौधा, और गंगाजल अपने जप स्थान पर रखें।

  4. सप्ताह में एक दिन पूरे घर में सात्त्विक भोजन बनाने का संकल्प लें।

  5. अपने बदलाव को सोशल मीडिया या समाज में प्रचारित न करें — चुपचाप करें।

“नाम जप करूँ तो घर शुद्ध हो,
प्याज-लहसुन नहीं भाव अशुद्ध हो,
भाव सच्चा हो, तो प्रभु अवश्य पास हों!”

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