India Economy: भारत बना दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था – लेकिन असल तस्वीर में अभी भी कई चुनौतियाँ
ग्राउंड रिपोर्ट:आर्थिक ऊँचाईयों के बीच सामाजिक चुनौतियाँ
जयपुर की सड़कों पर चहल-पहल है, बाजारों में रौनक है, और अखबारों की सुर्खियाँ भारत की आर्थिक उपलब्धियों से भरी हुई हैं।अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के अनुसार, भारत ने 2025 में 4.19 ट्रिलियन डॉलर की GDP के साथ जापान को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का दर्जा प्राप्त कर लिया है।
यह उपलब्धि निश्चित रूप से गर्व का विषय है, लेकिन जब हम ज़मीनी हकीकत पर नजर डालते हैं, तो तस्वीर उतनी भी गुलाबी नहीं दिखती।आर्थिक आंकड़ों की चमक के पीछे कई सामाजिक और विकासात्मक चुनौतियाँ छिपी हुई हैं।
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Toggleआर्थिक ऊँचाइयों की खबर के बीच ज़मीनी सच्चाई की पड़ताल
दिल्ली से लेकर मुंबई और जयपुर तक, सड़कों पर रौनक है, ऑनलाइन मीडिया और न्यूज़ चैनल भारत की नई उपलब्धि का जयघोष कर रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के हालिया आँकड़ों के मुताबिक, भारत ने वर्ष 2025 में 4.19 ट्रिलियन डॉलर की सकल घरेलू उत्पाद (GDP -Gross Domestic Product) के साथ जापान को पीछे छोड़ते हुए चौथा स्थान हासिल किया है।
यह उपलब्धि निःसंदेह गर्व का विषय है, और भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा में वृद्धि का प्रतीक भी। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह आर्थिक ऊँचाई देश की बहुसंख्यक आबादी की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सकारात्मक परिवर्तन लेकर आई है? क्या आम आदमी को इसका लाभ मिल रहा है?

Japan vs India: आँकड़ों की गहराई में छिपे अंतर
1. प्रति व्यक्ति आय – आर्थिक वृद्धि किसके लिए?
2025 में भारत की प्रति व्यक्ति आय लगभग 2800 डॉलर के आसपास है, जबकि जापान में यही आंकड़ा लगभग 33,000 डॉलर से ऊपर है। इसका सीधा अर्थ है कि भारत की आर्थिक तरक्की कुछ औद्योगिक क्षेत्रों और ऊपरी वर्ग तक ही सीमित रह गई है, जबकि अधिकांश नागरिक अब भी सीमित आय में जीवन यापन कर रहे हैं। यही कारण है कि भारत की “विकास गाथा” में असमानता की गूंज सुनाई देती है।
अतिरिक्त जानकारी:विश्व बैंक के अनुसार, भारत की कुल GDP का बड़ा हिस्सा सेवा क्षेत्र से आता है, जबकि मैन्युफैक्चरिंग और कृषि क्षेत्र का योगदान तुलनात्मक रूप से कम है, जिससे रोजगार और आय वितरण में असंतुलन बना रहता है।
2. जीवन प्रत्याशा – स्वास्थ्य सुविधाओं का आईना
भारत में औसतन एक व्यक्ति की जीवन प्रत्याशा 70 वर्ष है, जबकि जापान में यह आंकड़ा 85 वर्ष तक पहुँच चुका है। यह अंतर दर्शाता है कि जापान में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता, पोषण स्तर, और जीवनशैली कहीं अधिक उन्नत हैं।
अतिरिक्त जानकारी:भारत में अब भी लगभग 60% ग्रामीण आबादी को आधुनिक स्वास्थ्य सुविधाएँ नहीं मिलतीं। वहीं, जापान में सार्वभौमिक स्वास्थ्य बीमा प्रणाली के चलते हर नागरिक को समय पर इलाज मिलता है।
3. साक्षरता दर और शिक्षा की गुणवत्ता
जहाँ जापान में साक्षरता दर 99% से अधिक है और हर नागरिक का औसतन शिक्षा स्तर उच्च है, वहीं भारत की साक्षरता दर लगभग 77% है। यहाँ तक कि भारत के कई राज्यों में महिला साक्षरता दर 60% से नीचे है।
अतिरिक्त जानकारी:भारत की शिक्षा प्रणाली में अभी भी संसाधनों की कमी, प्रशिक्षित शिक्षकों की अनुपलब्धता, और बालिका शिक्षा में रुकावट जैसी समस्याएं व्यापक रूप से मौजूद हैं।
4. रोजगार की स्थिति
भारत की बेरोजगारी दर 6% के आसपास है, जबकि जापान में यह दर 2.5% से भी कम है। भारत की अधिकांश श्रम शक्ति असंगठित क्षेत्र में कार्यरत है, जहाँ वेतन, स्थायित्व और सामाजिक सुरक्षा जैसे अधिकार बहुत सीमित हैं।
अतिरिक्त जानकारी:भारत में हर साल लगभग 1.2 करोड़ युवा नौकरी की तलाश में आते हैं, लेकिन उनमें से केवल एक छोटा प्रतिशत ही उपयुक्त रोजगार प्राप्त कर पाता है।
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5. मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर
जापान की अर्थव्यवस्था में मैन्युफैक्चरिंग का योगदान 20% से अधिक है, जबकि भारत में यह केवल 13-14% के बीच है। यह अंतर ‘मेक इन इंडिया’ जैसी योजनाओं के अपेक्षित परिणाम न दे पाने की ओर भी इशारा करता है।
अतिरिक्त जानकारी:चीन के मुकाबले भारत में मैन्युफैक्चरिंग लागत कम है, फिर भी बुनियादी ढांचे, लॉजिस्टिक नेटवर्क और नीति-निर्माण में देरी के कारण विदेशी निवेश उतना नहीं बढ़ पाया जितनी अपेक्षा थी।
6. टेक्नोलॉजी
भारत अपने GDP का लगभग 0.7% अनुसंधान और विकास पर खर्च करता है, जबकि जापान यह खर्च 3.7% तक करता है। इससे यह स्पष्ट है कि भारत अभी भी नवाचार और उच्च तकनीकी अनुसंधान में पीछे है।
अतिरिक्त जानकारी:भारत के प्रमुख IIT और IISc संस्थानों में वैश्विक स्तर का शोध हो रहा है, लेकिन इनका योगदान अभी भी सीमित है और व्यापक स्तर पर तकनीकी बदलाव लाने के लिए पर्याप्त नहीं।
7. सामाजिक सुरक्षा
भारत में केवल 49% कार्यबल किसी न किसी प्रकार की सामाजिक सुरक्षा प्रणाली से जुड़ा है, जबकि जापान में लगभग सभी नागरिकों को सामाजिक सुरक्षा प्राप्त है।
अतिरिक्त जानकारी:भारत सरकार द्वारा EPFO, PM-SYM और E-Shram जैसे प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन इनका कवरेज अब भी सीमित है। ग्रामीण और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को अभी भी पेंशन, बीमा और स्वास्थ्य सुविधाएँ नहीं मिल रही हैं।
आँकड़ों से परे सच्चाई
भारत का जापान को पछाड़कर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना वास्तव में ऐतिहासिक क्षण है। लेकिन जब तक यह आर्थिक तरक्की देश की 130 करोड़ जनता के जीवन स्तर में सकारात्मक परिवर्तन नहीं लाती, तब तक यह सफलता अधूरी है। भारत को अब केवल GDP बढ़ाने से आगे बढ़कर सामाजिक संरचनाओं को मज़बूत करना होगा, ताकि ‘विकास’ सिर्फ आंकड़ों तक सीमित न रहे, बल्कि हर नागरिक के जीवन में झलक सके।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
प्रश्न 1: भारत की GDP 2025 में कितनी है?
उत्तर:2025 में भारत की GDP लगभग 4.19 ट्रिलियन डॉलर है, जिससे यह विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है।
प्रश्न 2: भारत की प्रति व्यक्ति आय क्या है?
उत्तर:प्रति व्यक्ति आय लगभग 2800 अमेरिकी डॉलर के आसपास है, जो जापान की तुलना में बहुत कम है।
प्रश्न 3: भारत की बेरोजगारी दर क्या है?
उत्तर:लगभग 6% है, जिसमें युवाओं और शिक्षित वर्ग की बेरोजगारी दर और भी अधिक है।
प्रश्न 4: क्या भारत में सभी लोगों को सामाजिक सुरक्षा मिलती है?
उत्तर:नहीं, अभी केवल 49% लोगों को किसी न किसी रूप में सामाजिक सुरक्षा कवरेज प्राप्त है।
प्रश्न 5: भारत और जापान की शिक्षा व्यवस्था में क्या मुख्य अंतर है?
उत्तर:जापान की शिक्षा प्रणाली में गुणवत्ता, अनुशासन और तकनीकी अनुकूलन ज्यादा है जबकि भारत को अब भी आधारभूत सुधारों की आवश्यकता है।
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